Wednesday, April 24, 2024

रिश्ते 30

गाँठ या यों कहें ग्रंथि
रिश्तों के जीवन में
बाधा भी बनती हैं
और स्वावलोकन का कारण भी,
बेहतर इंसान बनने की ओर
प्रेरित भी करती हैं,
और अहंकार में लिप्त रहने की
ओर खींचती भी हैं।

गाँठे हमेशा अपने रूप को
बदलती हैं,
अनुभव व समय के साथ,
सकारात्मक सोच
व रिश्तों की प्रगाढ़तावश।

परंतु यदि
अपने दम्भ में ग्रसित मानसिकता
व्यक्ति पर हावी होती जाती है
तो यही ग्रंथि
और कठोर हो जाती है,
और शरीर के राख होने तक
उसकी कठोरता जस की तस रहती है।

गाँठ को सरल करने
व उसके स्वरूप को कठोरता से
कोमलता के रास्ते होते हुए
सहज भाव से खोलने की प्रक्रिया में
किसी न किसी को झुकना होता है,
रिश्तों को नैसर्गिक
एवं सुचारु रूप से
जीवित रखने की ख़ातिर।

Sunday, February 4, 2024

रिश्ते 29

रिश्तों की ऊन 
बहुत गरमाहट देती है. 

रिश्तों की ऊन से 
हाथ द्वारा बने स्वेटर, 
किसी भी सर्दी में 
गरमी का एहसास देते हैं, 

स्वेटर बनाने वाले 
और 
पहनने वाले के रिश्ते 
ऊन से बंधे रहते है
एक सिरे से दूसरे सिरे तक. 

किसी भी रंग, क़िस्म 
और क़ीमत पर, 
रिश्तों का रंग 
हावी होता है.
 
ऐसे स्वेटर पीढ़ी दर पीढ़ी 
पहने जाते है. 

रिश्तों की ऊन 
बांधे रहती है 
पीढ़ियों को. 

कई बार 
उधेड़े भी जाते हैं 
ऐसे स्वेटर 
और नये रूप में, 
नये फैशन के, 
नये आकार और प्रकार 
में बदल दिये जाते हैं. 

रिश्तों की ऊन 
बहुत गरमाहट देती है. 

आजकल 
ऐसे रिश्ते, ऐसे स्वेटर 
कम ही दीखते हैं.

Tuesday, November 14, 2023

रिश्ते 28

रिश्ते पानी की तरह
साफ़ होते हैं
तो नदी बन
समंदर हो जाते हैं. 

रिश्ते बर्फ़ की तरह
जम भी जाते हैं
और हिम सागर भाँति
पिघलते भी हैं. 

रिश्ते मजबूत होना 
अच्छा होता है
परंतु चिन्ता का विषय होता है
रिश्तों का पत्थर हो जाना.

रिश्तों में लोच ज़रूरी होता है
और लोच के सीमेंट से बने रिश्ते
मजबूत होकर भी पत्थर नहीं होते.

रिश्तों को मिट्टी होने से
बचाना भी होता है
और बिखरने से
सम्हालना भी होता है.

रोड़ी और रोड़े मिलकर
रिश्ते में मज़बूती लाते हैं.

रिश्ते हाथ से रेत की तरह
सरक भी जाते हैं
और ईंट की तरह खड़े भी रहते हैं.

ईंट का जवाब पत्थर से देने से
रिश्ते टूट जाते हैं.

ईंट से बने मकानों को
रिश्ते ही घर बनाते हैं.

ऐसा घर जहां
सुख-दुःख साथ-साथ रहते हैं
और 
जीवन को आनंदमय बनाते हैं.

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Friday, May 26, 2023

रिश्ते 27

रिश्तों का आकाश क्षेत्र, 
धरती के विस्तार की सीमा से
अधिक होता है
रिश्तों की सूक्ष्मता,
स्थूल कृत्यों से अभिव्यक्त
नहीं की जा सकती

शब्दों, संस्कारों और संधियों से
रिश्तों का निर्माण भी होता है 
और
विस्तार भी

रिश्तों की सूक्ष्मता
भाषा और व्यवहार
पर निर्भर करती है
शब्द स्थूल हैं 
और
शब्दों का भाव 
और उनकी भंगिमा
सूक्ष्म है
भाषा सूक्ष्म है

शब्दों कें प्रयोग का तरीक़ा
और व्यवहार
रिश्तों में स्थायित्व लाता है

रिश्तों का आकाश धन,
धरती के विस्तार की सीमा से
अधिक होता है.
रिश्ते चलते रहते हैं
रुकते तो हम हैं

Wednesday, May 17, 2023

रिश्ते 26

रिश्तों का सौंदर्य 
एक दूसरे को 
समझने में निहित होता है
कोई स्वयं जैसा नहीं मिल सकता
कोई दो व्यक्ति एक से नहीं हो सकते
जब कभी अपने जैसे की खोज करने निकलते हैं
अकेले रह जाते हैं
निर्णय आपका है
आप अकेले चलने में विश्वास करते हैं
या साथ चलने में
आप आगे या पीछे चलने में विश्वास करते हैं
या साथ चलने में
अपनी सीमाएँ निर्धारित कीजिए
उनके अन्तर्गत
दूसरों के अनुसार
अपने को ढालने का प्रयास कीजिए
रिश्ते बनेंगे
अच्छे चलेंगे
चलते रहेंगे
इसको झुकना नहीं समझना कहते हैं
और
रिश्तों का सौंदर्य
एक दूसरे को समझने में निहित होता है
समझदारी से
चलने दीजिए रिश्तों को
रिश्तों में जीवन को

Saturday, April 1, 2023

रिश्ते 25

रिश्तों को बनाना, 
निभाना व जीवित रखना भी 
एक कला होती है. 
कई बार 
यह व्यक्ति के स्वभाव पर भी 
निर्भर करता है 
और जिसके साथ 
रिश्ता बनाया जा रहा होता है, 
उसके प्रभाव पर भी. 

कुछ लोग इस कला में 
पारंगत होते हैं 
और इस कला के माध्यम से 
रिश्तों का आनंद लेते हैं. 

किसी भी और कला की भाँति 
इसको भी सीखा जा सकता है 
और निपुणता हासिल की जा सकती है. 

परिवेश व परिस्थिति भी 
कई बार इस कला को 
विकसित करने में सहयोग करते हैं. 

समय एक सशक्त प्रशिक्षक की 
भूमिका निभाता है 
और अपने इस भाव से 
रिश्तों को निभाने की कला सिखाता है. 

रिश्तों को जीवित रखना 
व ख़त्म होते रिश्तों को पुनर्जीवित करना 
कठिन अवश्य होता है 
परंतु आत्मसंतुष्टि से भर देता है. 

रिश्ते फिर चल पड़ते हैं.

Saturday, December 31, 2022

रिश्ते 24

रिश्तों के बीज 
बोए जाते हैं, 
बीज से पौधा, 
पौधे से पेड़, 
और फिर वृक्ष 
बन जाते हैं रिश्ते. 

रिश्ते कई बार 
स्वयं अंकुरित होते हैं,
कई बार 
बिना किसी प्रयास के 
रिश्ते जन्म लेते हैं, 
फूल बन महकते हैं, 
तो कभी काँटे बन 
चुभते भी हैं रिश्ते. 

पौधों से वृक्ष बनने की 
प्रक्रिया में 
रिश्ते भिन्न प्रकारों के 
उतार-चढ़ाव का 
सामना करते हैं. 

रिश्ते निभाने से चलते हैं, 
जीवित रहते हैं, 
फिर चाहे वे 
मानवीय प्रयासों से पैदा हुए हों 
या बिना किसी प्रयासों के, 
आशय से परे. 

बीज पर काफ़ी कुछ निर्भर करता है 
रिश्तों का रूप-स्वरूप-प्रारूप, 
उनके पोषण पर भी, 
कई रिश्ते 
कुपोषण का शिकार हो जाते हैं. 

रिश्तों के पेड़ 
अपनी जड़ व शाखाओं से 
विकसित व पल्लवित होते हैं. 
पेड़ से वृक्ष बने रिश्ते 
संरक्षण व सुरक्षा की छतरी लगाकर 
निभाए जाते हैं. 

रिश्ते कई बार 
बिना किसी आशय से 
बड़े हो जाते हैं, 
चलते हैं, 
दौड़ते हैं. 
रुकते तो हम हैं.

रिश्ते 30

गाँठ या यों कहें ग्रंथि रिश्तों के जीवन में बाधा भी बनती हैं और स्वावलोकन का कारण भी, बेहतर इंसान बनने की ओर प्रेरित भी करती हैं, और अहंकार ...