Sunday, December 22, 2024

काम की बात

‘और भई मिश्रा जी से बात होती है'

'हाँ होती है
जब मिलते हैं होती है’

‘मतलब’

‘जब मिलते हैं तभी होती है'

अब
बात करने के लिए मुलाकात नहीं होती

मुलाक़ात और बात का
यही रिश्ता अब हो गया है
बात के लिए मुलाक़ात नहीं होती,
मुलाक़ात किसी काम के लिए ही होती है
और बात भी काम की ही होती है
बिना काम के बात,
या मुलाकात अब नहीं होती
बात भी नहीं होती
मुलाक़ात, काम, और बात का
यही रिश्ता है अब

बात के लिए मुलाक़ात होती थी
बात के विषय होते थे
और कई बार
विषय आवश्यक भी नहीं होते थे
व्यक्तिगत, पारिवारिक, राष्ट्रीय, अथवा वैश्विक
धार्मिक, सामाजिक, अथवा राजनीतिक
मौलिक-अमौलिक
भौतिक-अभौतिक
देश, काल, परिस्थिति, की बात
घर, बाहर की बात
हाल-चाल की बात
लिखने-पढ़ने की बात
किताबी और किताबों की बात
विचार व विचारकों की बात
दर्शन और दार्शनिकों की बात

अब बात के लिए मुलाकात नहीं होती
ऐसा नहीं है कि कोई बात नहीं होती
मुलाकात होती है तो बात होती है
काम के लिए मुलाकात होती है
मुलाकात होती है तो बस
काम की बात होती है

बात का विषय केवल काम रह गया है

काम-क्रोध-लोभ-मोह
धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष

Sunday, November 3, 2024

रिश्ते - 32

रिश्तों की रेल
चलती है 
प्यार व विश्वास की 
पटरी पर

कभी सवारी-गाड़ी की तरह
कभी माल-गाड़ी की तरह
तो कभी तीव्र गति से चलने वाली 
मेल एक्सप्रेस
राजधानी एक्सप्रेस
शताब्दी या वन्देभारत की तरह

गाड़ी का प्रकार 
निर्भर करता है
क्षेत्र, काल व परिस्थिति पर
कभी रिश्ते की रेल को 
तीव्र चलना होता है 
तो कभी 
सवारी गाड़ी की तरह 
धीरे-धीरे
इस गाड़ी से चलकर 
गन्तव्य पर पहुँचने में 
समय तो अधिक लगता है 
परंतु इस सफ़र का 
आनंद अलग होता है
सभी से मिलकर
सभी की सुनकर 
और सभी के साथ-साथ चलकर

रिश्ते की रेल का 
वास्तविक सुख 
सवारी गाड़ी में चलने में ही मिलता है
तीव्रता में गन्तव्य तक तो 
हम समय से पहले पहुँच जाते है 
परंतु कई बार साथ चलने वालों के 
ठीक से दर्शन भी नहीं होते
हमें केवल 
पहुँचने की जल्दी होती है

और माल-गाड़ी 
रिश्तों के भार को ढ़ोती हुई 
दिखाई देती है
यों तो माल गाड़ी भी 
उसी पटरी पर चलती है 
जिन पर अन्य गाड़ियाँ चलती हैं
परंतु 
प्यार व विश्वास की पटरी पर माल 
बहुत हिलते-ढुलते 
अपने निर्धारित गन्तव्य पर पहुँचता है
पाथेय के रूप में

किसी विशेष समय में 
तीव्रता अवश्यंभावी होती है 
परन्तु हमेशा तीव्रता का भाव 
रिश्तों में निकटता लाने में 
सहायक नहीं होता

रेल चाहे कोई भी हो 
पटरी एक ही होती है

रिश्तों की रेल 
प्यार व विश्वास की पटरी पर चलती है


Wednesday, July 10, 2024

रिश्ते - 31

रिश्तों से
कभी-कभी उठ जाता है
विश्वास
और अनायास ही
रिश्ते विलुप्त होते जाते हैं.

इतिहास का हिस्सा
बनने से भी कई बार
ऐसे रिश्ते वंचित रहते हैं.

रिश्ते पराजित होते हैं
नियति के अनुसार.
नियति का मोहरा बन
सब कुछ झेलते हैं
रिश्ते.

कालचक्र में फँसे रिश्ते,
परत दर परत
सब कुछ संजो कर रखते हैं
और कई बार
अपनी व्यथा बिना सुनाए ही
ब्रह्म में विलीन हो जाते हैं.

कई बार अपने अतीत में
मुग्ध होकर मुस्कराते भी हैं
और दुःखी भी होते हैं.
कोई उनकी व्यथा
सुनने वाला भी नहीं मिलता है
कई बार.

चलते तो ऐसे रिश्ते भी हैं
अपनी गति से.


Wednesday, April 24, 2024

रिश्ते 30

गाँठ या यों कहें ग्रंथि
रिश्तों के जीवन में
बाधा भी बनती हैं
और स्वावलोकन का कारण भी,
बेहतर इंसान बनने की ओर
प्रेरित भी करती हैं,
और अहंकार में लिप्त रहने की
ओर खींचती भी हैं।

गाँठे हमेशा अपने रूप को
बदलती हैं,
अनुभव व समय के साथ,
सकारात्मक सोच
व रिश्तों की प्रगाढ़तावश।

परंतु यदि
अपने दम्भ में ग्रसित मानसिकता
व्यक्ति पर हावी होती जाती है
तो यही ग्रंथि
और कठोर हो जाती है,
और शरीर के राख होने तक
उसकी कठोरता जस की तस रहती है।

गाँठ को सरल करने
व उसके स्वरूप को कठोरता से
कोमलता के रास्ते होते हुए
सहज भाव से खोलने की प्रक्रिया में
किसी न किसी को झुकना होता है,
रिश्तों को नैसर्गिक
एवं सुचारु रूप से
जीवित रखने की ख़ातिर।

Sunday, February 4, 2024

रिश्ते 29

रिश्तों की ऊन 
बहुत गरमाहट देती है. 

रिश्तों की ऊन से 
हाथ द्वारा बने स्वेटर, 
किसी भी सर्दी में 
गरमी का एहसास देते हैं, 

स्वेटर बनाने वाले 
और 
पहनने वाले के रिश्ते 
ऊन से बंधे रहते है
एक सिरे से दूसरे सिरे तक. 

किसी भी रंग, क़िस्म 
और क़ीमत पर, 
रिश्तों का रंग 
हावी होता है.
 
ऐसे स्वेटर पीढ़ी दर पीढ़ी 
पहने जाते है. 

रिश्तों की ऊन 
बांधे रहती है 
पीढ़ियों को. 

कई बार 
उधेड़े भी जाते हैं 
ऐसे स्वेटर 
और नये रूप में, 
नये फैशन के, 
नये आकार और प्रकार 
में बदल दिये जाते हैं. 

रिश्तों की ऊन 
बहुत गरमाहट देती है. 

आजकल 
ऐसे रिश्ते, ऐसे स्वेटर 
कम ही दीखते हैं.

Tuesday, November 14, 2023

रिश्ते 28

रिश्ते पानी की तरह
साफ़ होते हैं
तो नदी बन
समंदर हो जाते हैं. 

रिश्ते बर्फ़ की तरह
जम भी जाते हैं
और हिम सागर भाँति
पिघलते भी हैं. 

रिश्ते मजबूत होना 
अच्छा होता है
परंतु चिन्ता का विषय होता है
रिश्तों का पत्थर हो जाना.

रिश्तों में लोच ज़रूरी होता है
और लोच के सीमेंट से बने रिश्ते
मजबूत होकर भी पत्थर नहीं होते.

रिश्तों को मिट्टी होने से
बचाना भी होता है
और बिखरने से
सम्हालना भी होता है.

रोड़ी और रोड़े मिलकर
रिश्ते में मज़बूती लाते हैं.

रिश्ते हाथ से रेत की तरह
सरक भी जाते हैं
और ईंट की तरह खड़े भी रहते हैं.

ईंट का जवाब पत्थर से देने से
रिश्ते टूट जाते हैं.

ईंट से बने मकानों को
रिश्ते ही घर बनाते हैं.

ऐसा घर जहां
सुख-दुःख साथ-साथ रहते हैं
और 
जीवन को आनंदमय बनाते हैं.

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Friday, May 26, 2023

रिश्ते 27

रिश्तों का आकाश क्षेत्र, 
धरती के विस्तार की सीमा से
अधिक होता है
रिश्तों की सूक्ष्मता,
स्थूल कृत्यों से अभिव्यक्त
नहीं की जा सकती

शब्दों, संस्कारों और संधियों से
रिश्तों का निर्माण भी होता है 
और
विस्तार भी

रिश्तों की सूक्ष्मता
भाषा और व्यवहार
पर निर्भर करती है
शब्द स्थूल हैं 
और
शब्दों का भाव 
और उनकी भंगिमा
सूक्ष्म है
भाषा सूक्ष्म है

शब्दों कें प्रयोग का तरीक़ा
और व्यवहार
रिश्तों में स्थायित्व लाता है

रिश्तों का आकाश धन,
धरती के विस्तार की सीमा से
अधिक होता है.
रिश्ते चलते रहते हैं
रुकते तो हम हैं

काम की बात

‘और भई मिश्रा जी से बात होती है' 'हाँ होती है जब मिलते हैं होती है’ ‘मतलब’ ‘जब मिलते हैं तभी होती है' अब बात करने के लिए मुलाका...