Sunday, March 28, 2021

रिश्ते 12

पति-पत्नी के रिश्ते अजीब होते हैं. रोचक भी, इस रिश्ते का जन्म विवाह बंधन से होता है जो एक पुरुष व महिला को साथ रहने की सामाजिक संस्तुति प्रदान करते हैं. इस रिश्ते के मूल में ही बंधन होता है, किसी भी और रिश्ते से अलग. एक दूसरे के साथ का बन्धन, साथ निभाने का बन्धन भी और पारस्परिक धर्म भी, हर परिस्थिति में साथ खड़े रहने का धर्म. 

जहां पति-पत्नी के रिश्ते की नीव उनका परस्पर प्रेम होता है, उन्हें आधुनिक समझा जाता है जिनकी परिणति प्रेमविवाह के रूप में होती है. दूसरी ओर ऐसे पति-पत्नी के रिश्ते होते हैं जहां प्रेम, विवाह उपरांत उपजता व पनपता है. भारत में शायद इस प्रकार के पति-पत्नी के रिश्ते सर्वाधिक होंगे, ऐसा मेरा अनुमान है. ये रिश्ते केवल दो व्यक्तियों तक सीमित नहीं रहते बल्कि ये परिवार के रिश्ते होते हैं. विवाह दो परिवारों का होता है, और इस रिश्ते की प्रगाढ़ता में परिवारों की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है. व्यक्ति व परिवार समाज का हिस्सा होते हैं इस नाते इस रिश्ते में पारिवारिक व सामाजिक अपेक्षाएँ व बन्धन साथ साथ रहते हैं, ढेरों कसौटियों पर खरा उतरने की चुनौती होती है इस रिश्ते में. परिवार, समाज, क़ानून, और खुद के डर से भी ऐसे रिश्ते जीवित रहते हैं, यों कहें कि जीवित रखे जाते हैं.

यों तो ऐसा भी विश्वास है कि पति-पत्नी का रिश्ता ईश्वर बना कर भेजता है, हमारी परीक्षा इस पहले से बनी जोड़ी को ढूँढने, रिश्ता बनाने व उसे निभाने की होती है. रिश्ते-ही-रिश्ते वाले विज्ञापन बहुत सहयोग देते हैं इस खोज में, ख़रीद-फ़रोख़्त भी इस प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं, रिश्तों का मोल-भाव व तोल-मोल इस प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग होता है जिसमें बिचौलियों की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है. कई बार. माता-पिता व अन्य घनिष्ठ सम्बन्धियों की चिंता का विषय इन रिश्तों को ढूँढना हो जाता है, पूरा परिवार इस प्रक्रिया में सहयोग करता है व जब उपयुक्त वर या वधू का चुनाव हो जाता है, समस्त परिवार के लिए यह एक ख़ुशी का कारण बन जाता है,

विवाह उपरांत, जीवन पर्यन्त इसी कश्मकश में लगे रहते हैं कि कैसे पति-पत्नी के इस रिश्ते में रस घोला जाए, इसे आनन्दमय बनाया जाए, इसे दोस्ती में बदला जाए, इसे खुलकर जीने लायक़ बनाया जाए. इसमें कहीं न कहीं ऐसी स्वीकारोक्ति होती है कि क्योंकि यह पहले से निर्धारित था, हमें इस बन्धन में रहते हुए आनंद की तलाश करनी है. खून के रिश्ते से बहुत अलग होते हैं ऐसे रिश्ते. सहयोग. सहवास. सहभागिता, सामंजस्य, समझौता, समर्पण, समग्रता जैसे भाव समाहित होते हैं इस रिश्ते में.

जितना प्रेम का दिखावा पति-पत्नी के रिश्ते में होता है शायद ही किसी और रिश्ते में होता हो. हाथी के दाँतों की भाँति बहुत कुछ छुपाते हैं यह रिश्ते, इस रिश्ते के मूल में संतान प्राप्ति से व बृद्धि का भाव होता है. परंतु परस्पर प्रेम इस रिश्ते को आनन्द्दायक बना देता है. भले ही पति-पत्नी के रिश्ते की बुनियाद प्रेम न होती हो, शनैः शनैः प्रेम ऐसे रिश्ते की पूँजी बन जाता है. एक दूसरे की आदतों व चाहतों को स्वीकार करना, परस्पर आदर और विश्वास, रिश्ते को मज़बूत करते हैं, समय व संयम के निवेश से बना यह रिश्ता उस आत्मीय भावना को जागृत करता है जो कई बार अकल्पनीय प्रतीत होती है. एक दूसरे की आदतों के साथ जीते-जीते, कब दोनो एक दूसरे की आदत बन जाते हैं पता ही नहीं चलता. एक सच्चे प्रेम की अनुभूति से सराबोर यह रिश्ता हमेशा चलता रहता है, सात जन्मों तक, ऐसे रिश्ते लाखों में एक होते हैं, सामान्यतः अपवाद होते हैं ऐसे रिश्ते. यों तो यह भी कहा जाता है कि नोकझोंक, रूठना-मनाना, वाद-विवाद, तकरार इस रिश्ते को रोचक व मज़बूत बनाते हैं परंतु मेरा मानना यह है कि सच्चा प्रेम इन सभी प्रकार की क्रियाओं से परे होता है, पूर्ण समर्पण, बिना किसी अपेक्षा, पूर्वाग्रह या जोड़घटाने के, सच्चे प्यार को जन्म देता है, यह दिव्य भावना विवाह बन्धन को शक्ति प्रदान करती है. बल्कि बन्धन से मुक्त करती है. यही मुक्ति जीवन को परमआनंद की ओर ले जाती है. ऐसे रिश्ते अमरत्व को प्राप्त हो जाते हैं.

पति-पत्नी के रिश्ते से उत्पन्न संतान के साथ खून का रिश्ता होता है, कभी कभी विवाह बन्धन से इतर भी. इस खून के रिश्ते के कारण भी पति-पत्नी के रिश्ते बने रहते हैं, बच्चों द्वारा इस रिश्ते में फ़ेविकोल का जोड़ स्थापित होता है, बच्चों को ढाल बनाकर कई बार इन रिश्तों को चलाया व जीवित रखा जाता है. यही पति-पत्नी के रिश्ते को साथ जीने की ऊर्जा भी देता है, माता-पिता के रूप में, उन दोनों का बच्चों के प्रति अशर्त, आत्मीय. व खूनी रिश्ते का प्रेम, उनके रिश्ते को बांधे रहता है, चलता रहता है, अंतर्विरोधों के बावजूद. पति-पत्नी के रिश्ते में एक दूसरे के प्रति कृतज्ञता का भाव बच्चों के जन्म से उपजता है, व बच्चों के क्रिया कलापों द्वारा फलीभूत होता है, कई बार परस्पर कृतज्ञता का यही भाव रिश्ते को जीवित रखने का कारण बन जाता है, बच्चों के माध्यम से पति-पत्नी का रिश्ता खून के रिश्ते में बदल जाता है और चलता रहता है.

रिश्ते 11

मनुष्य के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण होते हैं 
खून के रिश्ते, 
जिनको चलना ही होता है, 
कभी ख़ुशी से तो कभी नाखुश रहकर. 
कभी नरमी से तो कभी गर्मी से, 
जीवन का ज्वार-भाटा 
इस रिश्ते से ही चलता है, 
कभी प्यार के प्रभाव में 
तो कभी अभाव में, 
परिवार की ऊर्जा होता है ऐसा रिश्ता, 
खून के रिश्ते में 
चुनाव या विकल्प की कोई गुंजाइश नहीं होती, 
सो कभी कभी कहीं कहीं 
ये बोझ बन जाते हैं, 
निभाना मुश्किल हो जाता है 
कई बार असम्भव भी, 
जहां एक ओर खून के रिश्तों में 
अपेक्षायें होती हैं, 
वहीं संरक्षण का एक मज़बूत पुट भी होता है. 
जब कभी ज़रूरत होती है
खून का क़र्ज़ उठाने का जज़्बा भी होता है


रिश्ते 10

रिश्तों का अपना संगीत होता है,
अपनी राग-रागिनियों में मुग्ध रिश्ते
झूमते हैं, नाचते हैं.
रिश्तों का आरोह-अवरोह रोचक होता है,
रिश्तों की वीणा तभी तक कर्णप्रिय होती है
जब तक वाणी में शालीनता रहती है
अन्यथा जीवन में सुरदोष का आगमन होता है.

रिश्तों की बांसुरी मनमोहक लगती है
पर जब रिश्तों की ढोलक को
ज़्यादा पीटा जाता है
तो कान ख़राब हो जाते हैं.

जिस प्रकार मधुर संगीत में
यथोचित संतुलन की आवश्यकता होती है
उसी प्रकार रिश्तों की प्रगाढ़ता व बेहतरी के लिए
संतुलन ज़रूरी होता है

#सम्बंध #परिस्थिति #रिश्ते #Rishtey #Sambandh #संगीत

Wednesday, March 24, 2021

Conscience Calling

Slander is a Commodity, bought and sold
Unlike money that one can hold
Shaking conscience, faking identities
Insulating oneself needs heart of gold

Canons fired on speaking mind
Compromising self I did find
Nothing shakes that veracious intent
Extolling efforts amid inveterate grind

Double standards all around found
Alive conscience touching the ground
Divided identities and the self unresolved
Bridging the gap with the inner hound

Juggling acts and mincing words
Genetic flaw that runs in nerds
Can’t say much for what it does
But for sure it greatly hurts

Wearing prejudices as jewel on body
Narcissistic claims that look so shoddy
Wish we wear true transparent sleeve
And build the selves that’s always ready

To learn and improve and walk straight
And not to compromise at any rate
Alas! One in mind and one in heart
It’s so utopian yet never too late

Wednesday, March 17, 2021

रिश्ते 9

रिश्तों में ज़रूरी होता है कमिट्मेंट या कहें प्रतिबद्धता.
बदलते समय में कोई कमिट होना नहीं चाहता है,
कमिट्मेंट से डरते हैं आज के युवा,
शायद इसीलिए रिश्ते बनाने पर विश्वास नहीं करते.
पतंगो को रिश्तों की डोर से उड़ाया जाता है,
जिस डोर पर कमिट्मेंट का इन्सुलेशन होता है,
जो उसको मज़बूती प्रदान करता है.
कमिट्मेंट के अभाव में रिश्ते अवसरवाद के शिकार होते हैं,
सिर्फ़ काम के रिश्ते.

यूज़ एंड थ्रो वाली परम्परा को प्रचारित करने वाली पीढ़ी 
रिश्तों के महत्व को नकारना तो जानती है 
परंतु इतनी साहसी भी नहीं दिखाई देती है 
जो इस सोच से सम्बद्द जोखिम लेने हेतु तैयार हो.

उनकी जीवन शैली और कमिट न रहने की सोच 
उनको बाहरी और क्षणिक सुःख तो प्रदान करती है 
परंतु आंतरिक रूप से कमजोर कर देती है.

यही कारण है कि वे स्ट्रेस में रहते हैं,
कोई नहीं होता उनकी बात सुनने वाला,
उनके सिर को कंधा देने वाला,
उनके आंसुओं को महसूस करने वाला,
रिश्ते परस्पर कमिट्मेंट से मज़बूत ही नहीं होते
बल्कि कंधा भी बनते हैं और कान भी,
आंसुओं को पत्थर होने से रोकते भी हैं
और आंसुओं के कारण बने व्यक्तियों को टोकते भी हैं.
कमिट्मेंट रिश्तों का एक अभिन्न हिस्सा होता है
जिसके बिना कोई रिश्ता, रिश्ता नहीं होता.

उत्तर-आधुनिक सोच जीवन को कमिट्मेंट से इतर देखती है,
शायद इसीलिए रिश्ते निभाना मुश्किल लगता है,
और रिश्ते बोझ लगते हैं.
मकानों में ही रहते हैं ऐसे रिश्ते,
कभी घर नहीं होते.
कमिट्मेंट के इन्सुलेशन के अभाव में
रिश्तों की डोर बहुत नाज़ुक हो जाती है.
ऐसी डोर से उड़ाई जाने वाली पतंगें बहुत जल्द कट जाती हैं या काट दी जाती हैं,
कटी पतंगो को लूटा भी जाता है और फाड़ा भी.
कई बार लड़ाइयों का कारण बन जाती हैं, ऐसी पतंगें.
हवा के थपेड़े सहने की शक्ति भी नहीं होती है ऐसे रिश्तों में.
कमिट्मेंट के अभाव में रिश्ते मर जाते हैं,
और हम चलते रहते हैं,
मशीन की तरह,
और ऊर्जा समाप्त होने पर बंद हो जाती है मशीन.

#सम्बंध #परिस्थिति #रिश्ते #commitment #Rishtey #Sambandh

Sunday, March 14, 2021

रिश्ते 8

रिश्तों के चलने के लिए
रिश्तों को निभाना पड़ता है.
और कई बार यह एक चुनौती हो जाता है.
परंतु यदि 
ऐसे रिश्तों की
जड़ें मजबूत हों  
तो निभाना एक आनन्द्दायक अनुभव होता है,
रिश्ते निभाने के लिए,
रिश्तों से सम्बद्द सभी लोगों को
इसमें अपनी सहभागिता करनी होती है.
कम या ज़्यादा हो सकता है
परंतु कोई रिश्ता
केवल एक व्यक्ति के निभाने से
नहीं चलता,
रिश्तों में परस्पर निवेश होना
ज़रूरी होता है.
अपनेपन का भाव,
भाव की अभिव्यक्ति,
सभी को अपने पक्ष को रखने की स्वतंत्रता,
एक दूसरे के प्रति सम्मान.
यह सम्मान क़द या उम्र पर
आधारित नहीं होता,
बल्कि व्यक्ति के
विचारों, परिस्थितियों, व्यक्तित्व, समरूपता इत्यादि पर
आधारित होता है,
ऐसा नहीं है
कि इस सम्मान में केवल छोटों के द्वारा
बड़ों का सम्मान ही महत्वपूर्ण है
बल्कि बड़ों को भी छोटों का
सम्मान करना होता है.
माता-पिता का बच्चों द्वारा सम्मान
उतना ही महत्वपूर्ण होता है
जितना माता-पिता द्वारा
बच्चों का सम्मान,
बच्चों की भावनाओं का सम्मान,
ऐसा ही कुछ
एक शिक्षक व छात्र के रिश्ते पर लागू होता है.

रिश्तों के चलने के लिए
रिश्तों को निभाना पड़ता है.

रिश्तों के निभाने के लिए
पारस्परिकता का होना अतिआवश्यक होता है 
एक तरफ़ के रिश्ते 
आख़िर कब तक चल सकते हैं 
धैर्य की भी सीमा होती है
रिश्तों के चलने के लिए
रिश्तों को परस्पर निभाना पड़ता है
इनमें बलिदान जैसा कुछ नहीं होता है
केवल एक इच्छाशक्ति होती है 
रिश्तों को आगे बढ़ाने की
रिश्तों को जीवित रखने की 
रिश्ते जीवित रहते हैं 
चलते रहते हैं
रुकते तो हम हैं

रिश्ते 7

एक और रूप होता है, रिश्तों का.
प्लेटफ़ॉर्म के रिश्ते*
या प्लेटफ़ॉर्म की दोस्ती.
जो एक समय पर बनती है
और मंज़िल पर पहुँचकर
समाप्त हो जाती है.
इस दोस्ती के रिश्ते में
मतलब जैसा कुछ नहीं होता,
ऐसे रिश्ते यों ही टाइम पास करने के लिए
बनाए जाते हैं,
इनमें मूलतः
निभाने जैसा भी कुछ नहीं होता,
एक प्लेटफ़ॉर्म पर बने रिश्ते में साथ
केवल अपने गंतव्य तक पहुँचने तक का होता है.
प्रायः इनको भुला दिया जाता है
परंतु इनमें से कभी कभी
कुछ ऐसे रिश्ते बन जाते हैं
जिनको कोई भी भुला नहीं सकता,
इनमें से कुछ परस्पर प्रयासों से
निरन्तर चलते जाते हैं,
खून के रिश्ते पर
हावी भी हो जाते हैं,
हम रुकते हैं,
रिश्ते चलते जाते हैं.

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*मैंने प्रथम वार इन रिश्तों के बारे में क़रीब २५ वर्ष पूर्व सोचा था व मित्रों से साझा किया था, कई वर्षों बाद एक मित्र ने उसको कोट किया, जिसके कारण उसकी याद ताज़ा हो गई

Friday, March 12, 2021

रिश्ते 6

दोस्ती के रिश्ते के भी
कई रूप होते हैं.
इस अवसरवादी समय में
दोस्ती के रिश्ते के साथ
जितने प्रयोग हुए हैं
शायद ही किसी और रिश्ते के साथ हुए हों,
दुरुपयोग भी. 
 
इनमें से वे जिनकी बुनियाद
केवल अपना मतलब पूरा करने की होती है,
मतलबानुसार ख़त्म हो जाते हैं,
सही मायने में तो
उन्हें रिश्ता माना ही नहीं जाना चाहिए
लेकिन फिर भी लोग उन्हें भी
रिश्ता कहते हैं
तो ठीक है मान लेते हैं,
लेकिन ऐसे रिश्तों की
कोई उम्र नहीं होती
सो ऐसे रिश्ते चलते नहीं हैं,
बल्कि चलाए जाते हैं.
सुविधानुसार. 
समयानुसार.  

रिश्ते 5

एक अनोखा रिश्ता होता है,
साथ खड़े होने बालों का रिश्ता.
सुख-दुःख में साथ,
अच्छाई-बुराई में साथ,
सही-ग़लत में साथ.
वह साथ जो दुर्योधन का कर्ण ने निभाया.
इस रिश्ते में कोई सही ग़लत का तर्क
काम नहीं करता है.
कंधे से कंधा मिलाकर
ऐसे रिश्ते पनपते हैं.
परस्पर स्नेह व सम्मान
इन रिश्तों का दाना पानी होता है.
इन रिश्तों में एक दूसरे पर
आँख मींचकर विश्वास किया जाता है,
किसी को कुछ पूँछने की
ज़रूरत ही महसूस नहीं होती,
ऐसे रिश्ते अटूट होते हैं,
श्रद्धा, निष्ठा, प्रेम, समर्पण, इत्यादि
भावों से भरपूर होते हैं
ऐसे रिश्ते.
खूब चलते हैं ऐसे रिश्ते,
खून के रिश्तों से भी लम्बी होती है
इनकी आयु.
भाग्यशाली लोगों के बीच ही ऐसे रिश्ते होते हैं,
इतिहास ऐसे रिश्तों को याद करता है.
रिश्ते चलते रहते हैं.

Tuesday, March 2, 2021

रिश्ते 4

दोस्ती का रिश्ता अनोखा होता है
सुख दुःख के साथियों का रिश्ता
जिसमें सही-ग़लत, ऊँचा-नीचा, अपना-पराया
कुछ नहीं होता
बिना शर्त
बिना किसी अपेक्षा के 
पवित्र पावन रिश्ता 
चलता रहता है
आप क्या चाहते हैं 
दोस्त को पहले पता चल जाता है 
और ऐसा आपसी रिश्ता 
अपनी उपस्थिति हर उस समय दर्ज कराता है 
जब उसकी ज़रूरत होती है

ऐसे रिश्ते में कई बार 
शब्द और भाषा माने नहीं रखते 
भाव और भंगिमाएँ भी
हमको लगता है 
या हो सकता है (होता भी हो) 
कि हम दोस्तों का चुनाव करते हैं 
और जहां व्यक्ति स्वयं दोस्त का चुनाव करे 
तो ऐसा माना जा सकता है 
कि ऐसे रिश्ते लम्बे समय तक जीवित रहेंगे
और ऐसी दोस्ती 
जो परस्पर विश्वास के आधार पर बनती है 
और जहां समय व संयम का निवेश होता है 
दीर्घायु की होती है
ऐसे रिश्ते अमर होते हैं
कहानियों व किवदंतियों के 
प्रमुख हिस्से हो जाते है ऐसे रिश्ते 
रिश्ते चलते रहते हैं

रिश्ते 30

गाँठ या यों कहें ग्रंथि रिश्तों के जीवन में बाधा भी बनती हैं और स्वावलोकन का कारण भी, बेहतर इंसान बनने की ओर प्रेरित भी करती हैं, और अहंकार ...