Saturday, April 17, 2021

रिश्ते 18

रिश्तों के अपने रंग होते हैं
हम कई बार अपने प्रयासों के द्वारा 
रिश्तों में रंग भरते हैं
रिश्तों को रंगीन रखना 
संकल्प भी हो सकता है 
और विकल्प भी
कुछ भी हो 
रिश्तों की रंगीनियत सभी को लुभाती है 
अच्छी लगती है
रिश्ते कभी लाल होते हैं, कभी पीले
कभी-कभी नीले भी हो जाते हैं रिश्ते
रिश्ते सफ़ेद भी होते हैं और काले भी
अधिकतर स्लेटी होते हैं रिश्ते
कुछ काले, कुछ सफ़ेद, ढके भी, खुले भी 
गुलाबी रिश्तों का अपना ही मज़ा होता है 
इनमें एक ओर आनंद होता है 
तो दूसरी ओर नशा होता है
रिश्तों को कई बार बैंगनी बनाने का
या ऐसा दिखाने का प्रयास किया जाता है 
कुछ रिश्ते वास्तव में बैंगनी होते हैं
बहुत ऊँची उड़ान भरते हैं ऐसे रिश्ते
रिश्तों को हरा भी रखा जाता है
उनको सींचा जाता है
कई बार रिश्ते स्वतः ही हरे हो जाते हैं
हरे लगने लगते हैं
रिश्ते हरे रहते हैं
गीले रहते हैं
सूख तो हम जाते हैं

रिश्ते 17

रिश्ते
कानों से देखते हैं,
नाक से सुनते हैं,
आँखों से सूंघते हैं,
हाथों से चलते हैं,
पैरों से पकड़ते हैं,
दिल को छूते हैं,
बिना चेहरे के महसूस होते हैं,
बिना दिमाग़ के चलते हैं, जीवित रहते हैं,
बिना अंग के स्पर्श करते हैं,

रिश्ते
अंगों से परे होते हैं,
रिश्ते बस मन से चलते हैं,
प्रगाढ़ व विराट रूप में,
अमरत्व को प्राप्त करते हैं,
इस प्रकार के किसी भी आशय से परे,
रिश्ते चलते रहते हैं

Sunday, April 11, 2021

रिश्ते 16

रिश्ते कई बार हो जाते हैं पहाड़
और हवा भी हो जाते हैं
बन सूरज आशा की किरण जगाते हैं,
रोशनी का माध्यम बनते हैं
और कभी कभी जलाते भी हैं अपने ताप से
चाँदनी की चादर ओढ़े रिश्ते
जीवन में बनते हैं
रोमांस का कारण
और कष्टों का निवारण भी.
रिश्ते ओस की बूँद बन टपकते भी हैं
और महकते भी हैं, कस्तूरी बन
जीवन के कैन्वस पर रिश्ते
एक ऐसी रंगीन तस्वीर बनाते हैं
जो भरपूर होती है
पहाड़, बाग़ान, सूरज, किरणें, बूँदें, पानी, पुष्प, काँटे, आदि इत्यादि से
उन सभी भावनाओं व भावों को दर्शाती है यह तस्वीर
जो हिस्सा होती है
उसके बनाने बाले की कल्पनाओं का
रिश्ते बनते हैं कल्पनाओं का आधार
अपने वास्तविक रूप से
और उन्हें प्रभावित करते हैं

रिश्ते बहुत कुछ निर्धारित करते हैं
रास्ता भी, हमराही भी
पथ भी, पाथेय भी
चलना भी, रुकना भी
कमोबेश रिश्ते चलते रहते हैं
रुकते तो हम हैं.

Sunday, April 4, 2021

रिश्ते 15

आँखों की बारिश से रिश्ते नम होते हैं, 
कटु शब्दों के प्रयोग से रिश्ते कटु होते जाते हैं, 
मुस्कराहट से सरल हो जाते हैं, 
कमज़ोर कानों से बिगड़ते भी हैं, 
अकड़ से बहक जाते हैं, 
शालीनता से मधुर हो जाते हैं, 
कटाक्षों से कड़वे हो जाते हैं. 

परंतु यदि रिश्ते में 
समर्पण और विश्वास हो तो 
इन सबका कुछ ख़ास असर नहीं होता है. 

रिश्ते कभी-कभी किश्तों से लगते हैं, 
अपनी वैधता के साथ चलते हैं, 
बनते बिगड़ते हैं, 
फिर भी चलते रहते हैं.

रिश्ते 14

सामान्य परिस्थितियों में
रिश्ते की पहचान करना मुश्किल होता है, 
सब कुछ सामान्य गति से सामान्य रूप से चलता रहता है, 
मुसीबत के समय में 
रिश्तों की असली पहचान होती है, 
फिर चाहे वह कोई भी रिश्ता हो, 
रिश्तों की मधुरता का मापक होती हैं 
कठोर परिस्थितियाँ, 
जिनके मानकों का निर्धारण 
रिश्तों को निभाने का आशय व प्रयास करते हैं. 
संयम, संयोजन व समर्पण की क्षमता 
इन परिस्थितियों से निबटने का बल प्रदान करती हैं. 

औपचारिकताओं से परे रिश्ते चलते रहते हैं, 
अपनी गति से. 
सामान्य परिस्थितियों में जो प्रयास 
रिश्तों को जीवित, पोषित, व रोपित रखने के लिए किए जाते हैं, 
वही सब असामान्य परिस्थितियों में 
रिश्तों की ऊर्जा हो जाते हैं, 
माणकों व मापकों से परे. 
रिश्ते इसी ऊर्जा के बल चलते हैं सफलतापूर्वक, 
कठोर समय का सामना करते हुए. 
इस सारी प्रक्रिया में 
रिश्तों में नवचेतना जागृत होती है 
व एक नई शक्ति का संचार होता है 
जो रिश्तों को और अधिक प्रगाढ़ बनाता है, 

रिश्ते चलते जाते हैं, 
झूमते हुए, मदमस्त, 
बिना किसी रुकावट के, 
रुकते तो हम हैं.

रिश्ते 13

रिश्तों की बेड़ियाँ डाली भी जाती हैं और तोड़ी भी
कई बार रिश्ते बांधते हैं
तो कई बार स्वतंत्र करते हैं, आज़ाद करते हैं
आज़ादी के रिश्ते दिलचस्प होते हैं, प्रगाढ़ भी
रिश्तों में आज़ादी होना
परस्पर प्रेम को और गहन बनाता है
और नई सम्भावनाओं को जन्म देता है
यों तो रिश्तों का इंद्रजाल बड़ता जाता है
और कई बार उलझता सा लगता है
परंतु फिर भी रिश्तों की अपनी स्वतंत्रता होती है
जिसके बल पर हम अपने पंखों को
खुले आकाश में फैलाते हैं
और नए-नए रिश्ते बनाते हैं
रिश्तों का आसमान विराट होता है
जो अपनी जड़ों के साथ-साथ रहते हुए भी
विस्तार का कारण बनता है
इस विस्तार की प्रक्रिया में
मानसिकता का अपना महत्व होता है
जो समय के साथ परिपक्व होती है
और रिश्तों को निभाने की ऊर्जा बनती है

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रिश्ते 30

गाँठ या यों कहें ग्रंथि रिश्तों के जीवन में बाधा भी बनती हैं और स्वावलोकन का कारण भी, बेहतर इंसान बनने की ओर प्रेरित भी करती हैं, और अहंकार ...