Sunday, April 4, 2021

रिश्ते 14

सामान्य परिस्थितियों में
रिश्ते की पहचान करना मुश्किल होता है, 
सब कुछ सामान्य गति से सामान्य रूप से चलता रहता है, 
मुसीबत के समय में 
रिश्तों की असली पहचान होती है, 
फिर चाहे वह कोई भी रिश्ता हो, 
रिश्तों की मधुरता का मापक होती हैं 
कठोर परिस्थितियाँ, 
जिनके मानकों का निर्धारण 
रिश्तों को निभाने का आशय व प्रयास करते हैं. 
संयम, संयोजन व समर्पण की क्षमता 
इन परिस्थितियों से निबटने का बल प्रदान करती हैं. 

औपचारिकताओं से परे रिश्ते चलते रहते हैं, 
अपनी गति से. 
सामान्य परिस्थितियों में जो प्रयास 
रिश्तों को जीवित, पोषित, व रोपित रखने के लिए किए जाते हैं, 
वही सब असामान्य परिस्थितियों में 
रिश्तों की ऊर्जा हो जाते हैं, 
माणकों व मापकों से परे. 
रिश्ते इसी ऊर्जा के बल चलते हैं सफलतापूर्वक, 
कठोर समय का सामना करते हुए. 
इस सारी प्रक्रिया में 
रिश्तों में नवचेतना जागृत होती है 
व एक नई शक्ति का संचार होता है 
जो रिश्तों को और अधिक प्रगाढ़ बनाता है, 

रिश्ते चलते जाते हैं, 
झूमते हुए, मदमस्त, 
बिना किसी रुकावट के, 
रुकते तो हम हैं.

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