कई बार रिश्ते बांधते हैं
तो कई बार स्वतंत्र करते हैं, आज़ाद करते हैं
आज़ादी के रिश्ते दिलचस्प होते हैं, प्रगाढ़ भी
रिश्तों में आज़ादी होना
परस्पर प्रेम को और गहन बनाता है
और नई सम्भावनाओं को जन्म देता है
यों तो रिश्तों का इंद्रजाल बड़ता जाता है
और कई बार उलझता सा लगता है
परंतु फिर भी रिश्तों की अपनी स्वतंत्रता होती है
जिसके बल पर हम अपने पंखों को
खुले आकाश में फैलाते हैं
और नए-नए रिश्ते बनाते हैं
रिश्तों का आसमान विराट होता है
जो अपनी जड़ों के साथ-साथ रहते हुए भी
विस्तार का कारण बनता है
इस विस्तार की प्रक्रिया में
मानसिकता का अपना महत्व होता है
जो समय के साथ परिपक्व होती है
और रिश्तों को निभाने की ऊर्जा बनती है
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