रिश्ते कई बार हो जाते हैं पहाड़
और हवा भी हो जाते हैं
बन सूरज आशा की किरण जगाते हैं,
रोशनी का माध्यम बनते हैं
और कभी कभी जलाते भी हैं अपने ताप से
चाँदनी की चादर ओढ़े रिश्ते
जीवन में बनते हैं
रोमांस का कारण
और कष्टों का निवारण भी.
रिश्ते ओस की बूँद बन टपकते भी हैं
और महकते भी हैं, कस्तूरी बन
जीवन के कैन्वस पर रिश्ते
एक ऐसी रंगीन तस्वीर बनाते हैं
जो भरपूर होती है
पहाड़, बाग़ान, सूरज, किरणें, बूँदें, पानी, पुष्प, काँटे, आदि इत्यादि से
उन सभी भावनाओं व भावों को दर्शाती है यह तस्वीर
जो हिस्सा होती है
उसके बनाने बाले की कल्पनाओं का
रिश्ते बनते हैं कल्पनाओं का आधार
अपने वास्तविक रूप से
और उन्हें प्रभावित करते हैं
रिश्ते बहुत कुछ निर्धारित करते हैं
रास्ता भी, हमराही भी
पथ भी, पाथेय भी
चलना भी, रुकना भी
कमोबेश रिश्ते चलते रहते हैं
रुकते तो हम हैं.
भाषा अनुभूति को अभिव्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम है। जीवन को देखने का सबका दृष्टिकोण अलग होता है। चिंतन व मंथन से विचार का जन्म होता है, वहीं अवलोकन से अनुभूति के दर्शन का ज्ञान होता है। जो कुछ अच्छा लगता है, उसको अपने नैसर्गिक प्रवाह में रखने का मेरा प्रयास है यह ब्लॉग। भाषा के बंधन से परे ..
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