कानों से देखते हैं,
नाक से सुनते हैं,
आँखों से सूंघते हैं,
हाथों से चलते हैं,
पैरों से पकड़ते हैं,
दिल को छूते हैं,
बिना चेहरे के महसूस होते हैं,
बिना दिमाग़ के चलते हैं, जीवित रहते हैं,
बिना अंग के स्पर्श करते हैं,
रिश्ते
अंगों से परे होते हैं,
रिश्ते बस मन से चलते हैं,
प्रगाढ़ व विराट रूप में,
अमरत्व को प्राप्त करते हैं,
इस प्रकार के किसी भी आशय से परे,
रिश्ते चलते रहते हैं
अंगों से परे होते हैं,
रिश्ते बस मन से चलते हैं,
प्रगाढ़ व विराट रूप में,
अमरत्व को प्राप्त करते हैं,
इस प्रकार के किसी भी आशय से परे,
रिश्ते चलते रहते हैं
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