Saturday, July 4, 2020

कर्म, भाग्य व सीख

व्यक्ति के जीवन में कर्म और भाग्य दोनो महत्वपूर्ण होते हैं, कुछ लोग भाग्य जन्म से लेकर पैदा होते हैं, कुछ अपना भाग्य अपने कर्मी से बनाते हैं। यह सब जीवन का फेर है। कर्म और भाग्य के बीच कृपा रहती है जिसे आशीर्वाद भी कहते हैं, जो मानवीय कर्मों पर ही निर्भर करती है। जैसे कर्म होते हैं, उसी प्रकार कृपा होती है, इन दोनो के मिलन से, सफलता मिलती है। 

कोई भी स्वयं को समाज से परे नहीं रख सकता है। समाज व समय के साथ हम जीवन के पाठ को समझते हैं और आगे बढ़ते हैं। कई बार अवसर स्वयं दरवाज़े पर दस्तक देते हैं और कई बार व्यक्ति को अवसर चुराने होते हैं। यह चोरी सर्वथा मान्य है व दोष रहित है। अवसर हमेशा नहीं मिलते। इसीलिए जब अवसर मिले उसका सापेक्ष प्रयोग करना चाहिए, यह ध्यान रखते हुए कि इससे आप क्या सीख रहे हैं व इसका आप के जीवन में दीर्घकालिक व अल्पकालिक कैसा प्रभाव होगा। 

इस सब प्रक्रिया में वेतन महत्वपूर्ण नहीं होता है, आपकी सीख महत्वपूर्ण होती है। यह सीख केवल नौकरी तक सीमित नहीं रहती, बल्कि आपके व्यक्तित्व व सामाजिक व्यवहार को भी सुधारती है। हम जब अपने भविष्य के बारे में सोचते हैं तो मूल रूप से यह आवश्यक नहीं होता कि हमारा वेतन क्या है. महत्वपूर्ण यह होता है कि हम उससे क्या सीख रहे हैं व भविष्य में उस सीख को हम कहाँ प्रयोग कर सकते हैं। 

किसी भी युवा की प्रगति में यह कुछ महत्वपूर्ण घटक होते हैं जिसे हमेशा ध्यान रखना चाहिए। कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता, हमारी मानसिकता उसे वैसा बनती है। मनुष्य के हाथ केवल प्रयास करना है, उसका फल क्या होगा कहना मुश्किल है। 

जब मैं आज के युवा की ऊर्जा को देखता हूँ तो उनकी मेहनत, दृढ़ इच्छा व कर्मठता को सलाम करने को मन करता है। वहीं दूसरी ओर ऐसे भी युवा हैं जो समय व अवसर का सही प्रयोग नहीं कर पा रहे हैं, उनकी प्राथमिकताएँ भिन्न हैं, वे समय का दुरुपयोग कर रहे हैं व ऐसी गतिविधियों में अपना समय ज़ाया कर रहे हैं, जो उनके सुरक्षित भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लगाते  हैं। 
 
हर सफल व्यक्ति के पीछे उसके सामाजिक व पारिवारिक बलिदान की कहानी होती है। हम में से बहुत लोग उसके लिए तैयार नहीं होते, व समय बीत जाने पर पछताते हैं।

रिश्ते 30

गाँठ या यों कहें ग्रंथि रिश्तों के जीवन में बाधा भी बनती हैं और स्वावलोकन का कारण भी, बेहतर इंसान बनने की ओर प्रेरित भी करती हैं, और अहंकार ...