एक अनोखा रिश्ता होता है,
साथ खड़े होने बालों का रिश्ता.
सुख-दुःख में साथ,
अच्छाई-बुराई में साथ,
सही-ग़लत में साथ.
वह साथ जो दुर्योधन का कर्ण ने निभाया.
इस रिश्ते में कोई सही ग़लत का तर्क
काम नहीं करता है.
कंधे से कंधा मिलाकर
ऐसे रिश्ते पनपते हैं.
परस्पर स्नेह व सम्मान
इन रिश्तों का दाना पानी होता है.
इन रिश्तों में एक दूसरे पर
आँख मींचकर विश्वास किया जाता है,
किसी को कुछ पूँछने की
ज़रूरत ही महसूस नहीं होती,
ऐसे रिश्ते अटूट होते हैं,
श्रद्धा, निष्ठा, प्रेम, समर्पण, इत्यादि
भावों से भरपूर होते हैं
ऐसे रिश्ते.
खूब चलते हैं ऐसे रिश्ते,
खून के रिश्तों से भी लम्बी होती है
इनकी आयु.
भाग्यशाली लोगों के बीच ही ऐसे रिश्ते होते हैं,
इतिहास ऐसे रिश्तों को याद करता है.
रिश्ते चलते रहते हैं.
भाषा अनुभूति को अभिव्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम है। जीवन को देखने का सबका दृष्टिकोण अलग होता है। चिंतन व मंथन से विचार का जन्म होता है, वहीं अवलोकन से अनुभूति के दर्शन का ज्ञान होता है। जो कुछ अच्छा लगता है, उसको अपने नैसर्गिक प्रवाह में रखने का मेरा प्रयास है यह ब्लॉग। भाषा के बंधन से परे ..
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रिश्ते - 32
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