Sunday, March 14, 2021

रिश्ते 8

रिश्तों के चलने के लिए
रिश्तों को निभाना पड़ता है.
और कई बार यह एक चुनौती हो जाता है.
परंतु यदि 
ऐसे रिश्तों की
जड़ें मजबूत हों  
तो निभाना एक आनन्द्दायक अनुभव होता है,
रिश्ते निभाने के लिए,
रिश्तों से सम्बद्द सभी लोगों को
इसमें अपनी सहभागिता करनी होती है.
कम या ज़्यादा हो सकता है
परंतु कोई रिश्ता
केवल एक व्यक्ति के निभाने से
नहीं चलता,
रिश्तों में परस्पर निवेश होना
ज़रूरी होता है.
अपनेपन का भाव,
भाव की अभिव्यक्ति,
सभी को अपने पक्ष को रखने की स्वतंत्रता,
एक दूसरे के प्रति सम्मान.
यह सम्मान क़द या उम्र पर
आधारित नहीं होता,
बल्कि व्यक्ति के
विचारों, परिस्थितियों, व्यक्तित्व, समरूपता इत्यादि पर
आधारित होता है,
ऐसा नहीं है
कि इस सम्मान में केवल छोटों के द्वारा
बड़ों का सम्मान ही महत्वपूर्ण है
बल्कि बड़ों को भी छोटों का
सम्मान करना होता है.
माता-पिता का बच्चों द्वारा सम्मान
उतना ही महत्वपूर्ण होता है
जितना माता-पिता द्वारा
बच्चों का सम्मान,
बच्चों की भावनाओं का सम्मान,
ऐसा ही कुछ
एक शिक्षक व छात्र के रिश्ते पर लागू होता है.

रिश्तों के चलने के लिए
रिश्तों को निभाना पड़ता है.

रिश्तों के निभाने के लिए
पारस्परिकता का होना अतिआवश्यक होता है 
एक तरफ़ के रिश्ते 
आख़िर कब तक चल सकते हैं 
धैर्य की भी सीमा होती है
रिश्तों के चलने के लिए
रिश्तों को परस्पर निभाना पड़ता है
इनमें बलिदान जैसा कुछ नहीं होता है
केवल एक इच्छाशक्ति होती है 
रिश्तों को आगे बढ़ाने की
रिश्तों को जीवित रखने की 
रिश्ते जीवित रहते हैं 
चलते रहते हैं
रुकते तो हम हैं

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