कहीं पढ़ा था -
नज़र का इलाज़ किया जा सकता है नज़रिए का नहीं,
इस कथन का रिश्तों के निभाने में बहुत महत्व होता है.
कई बार हम दूसरों के नज़रिए का इलाज करने में
अपना बहुमूल्य समय बर्बाद करते हैं.
जैसा है वैसा स्वीकार करने से रिश्ते बेहतर होते हैं
और बिना इस पर ध्यान दिए
कि दूसरे का नज़रिया ग़लत है
यदि हम अपने कर्तव्य का निर्वाहन करते रहते हैं
तो रिश्ते केवल जीवित ही नहीं रहते
बल्कि प्रगाढ़ भी होते हैं.
जब रिश्ते मूल हैं, प्रधान हैं
तो बाक़ी सब गौण हो जाना चाहिए.
इसको समझना व इस पर अमल करना
सफल जीवन जीने की एक प्रमुख चुनौती है.
हर प्रकार के रिश्ते में इसका महत्व है.
यदि हम जान जाएँ व इसको पूरी तरह से मान लें
कि दूसरे का नज़रिया बदलना बहुत मुश्किल है
या यों कहें कि नामुमकिन है,
तो शायद हम रिश्तों को भली प्रकार व आनन्दपूर्वक जी पायेंगे.
और यदि नज़रिया बदलना ही है
तो स्वयं का बदलें
और रिश्तों को उनके रूप में स्वीकार करें
क्योंकि नज़र का इलाज किया जा सकता है.
नज़रिए का नहीं.
भाषा अनुभूति को अभिव्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम है। जीवन को देखने का सबका दृष्टिकोण अलग होता है। चिंतन व मंथन से विचार का जन्म होता है, वहीं अवलोकन से अनुभूति के दर्शन का ज्ञान होता है। जो कुछ अच्छा लगता है, उसको अपने नैसर्गिक प्रवाह में रखने का मेरा प्रयास है यह ब्लॉग। भाषा के बंधन से परे ..
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