Wednesday, June 29, 2022

रिश्ते - 21

यों तो 
रिश्तों के अपने स्वाद होते हैं, 
परंतु कई बार 
स्वाद, 
रिश्तों में भी होते हैं - 
मीठे, नमकीन, खट्टे, तीखे, कड़वे, कसैले. 
स्वाद समय पर भी निर्भर करता है
और रिश्तों पर भी 

एक व्यक्ति इन सभी स्वादों का 
अनुभव करना चाहता है, 
वह तथानुसार रिश्ते चुनता है. 

दोस्ती का रिश्ता मीठा होता है 
दो प्रेमियों की तरह, 
पति-पत्नी का रिश्ता 
नमकीन भी होता है, मीठा भी, 
भाई-बहन का रिश्ता 
खट्टा, मीठा व नमकीन होता है, 
प्रायः सास-बहू व ननद-भाभी के रिश्ते में 
तीखेपन का अनुभव होता है 
जो कभी-कभी कसैला भी हो जाता है 
और खट्टा भी, 
वहीं देवर-भाभी और जीजा-साली के रिश्ते 
ख़ट्टे-मीठे-नमकीन रहते हैं. 

इन सभी स्वादों से गुज़रते रिश्ते में 
जब संदेह व अविश्वास का प्रवेश होता है 
तो रिश्ते कड़वे हो जाते हैं. 

उसी क्षण रहीम याद आते हैं - 

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ पड़ जाय

रिश्तों में स्वाद बना रहे 
और उनमें 
कभी कड़वापन घर न कर पाए 
ऐसे प्रयास होने चाहिए 
जो रिश्तों को बखूबी निभाने में 
निहित होते हैं. 

रिश्तों के स्वाद 
रोचक व मनमोहक होते हैं. 
रिश्ते चलते रहते हैं मदमस्त, 
गति सीमा से परे, 
रुकते तो हम हैं

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