Sunday, October 18, 2020

अध्यापन व अध्यापक

हर सफल व असफल व्यक्ति के पीछे एक अध्यापक है, कई मायनों में उसकी भूमिका माता पिता से भी अधिक महत्वपूर्ण होती है। 

सच है, कई बार कई लोग यह समझते हैं कि यह नौकरी कितनी आसान है, शायद इसीलिए वे लोग अध्यापक बनना पसंद करते हैं - 
क्योंकि उन्हें यह आसान लगता है, 
क्योंकि दिखाई देने में यह एक सप्ताह में कुछ चन्द घंटों के लिए ही होता है। 
 
मात्र वे इसे किसी भी दूसरी नौकरी के जैसा समझते हैं। 

अध्यापन एक नौकरी नहीं है, और न ही एक पेशा है। 
यह एक ऐसी विचित्र सेवा है जो आत्मिक संतुष्टि देती है। 

जो अध्यापक इसको मात्र एक नौकरी समझते हैं, उनके लिए यह शुरुआत में बहुत आसान व आनन्द्दायक लगती है, पर धीरे-धीरे आनंद में ह्रास होने लगता है व एक समय पर आकर वे इस महान सेवा को व अपने चुनाव पर पछताते हैं। ऐसे अध्यापक अपने छात्रों के लिए, समाज के लिए व पूरे अध्यापन व्यवस्था के लिए बोझ हो जाते हैं। 

अध्यापन कोई व्यवसाय नहीं है।  
आपको अपने घर पर दुकान खोलने की क्या आवश्यकता है। 
ख़ासकर उनके लिए जो सरकार से अध्यापन का वेतन पाते हैं। 

इंसानी भूख की कोई सीमा नहीं है, और यदि किसी युवा को पैसा कमाने की इच्छा है तो उसमें कोई बुराई नहीं है, परंतु ऐसे व्यक्ति के लिए अध्यापन एक ग़लत चुनाव है। 

हमें चुनाव करना है, हम कैसे अध्यापक बनना चाहते हैं। 

अपने उन सभी शिक्षकों को नमन करता हूँ कि जिन्होंनें मुझे स्वतंत्र सोच को विकसित करने में सहयोग किया। 

अपने सभी मित्रों का धन्यवाद करता हूँ, जिन्होंनें मुझे वह शिक्षा प्रदान की जो किताबों के इतर है। 

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